रामायण बालकाण्ड भाग ८ यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. सोरठा- सुर नर मुनि कोउ नाहिं जेहि न मोह माया प्रबल॥ अस बिचारि मन माहिं भजिअ महामाया पतिहि॥१४०॥ अपर हेतु सुनु सैलकुमारी। कहउँ बिचित्र कथा बिस्तारी॥ जेहि कारन अज अगुन अरूपा। ब्रह्म भयउ कोसलपुर भूपा॥ जो प्रभु बिपिन फिरत तुम्ह देखा। बंधु समेत धरें […]
रामायण बालकाण्ड भाग ७ यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. दोहा- सुख हाड़ लै भाग सठ स्वान निरखि मृगराज। छीनि लेइ जनि जान जड़ तिमि सुरपतिहि न लाज॥१२५॥ तेहि आश्रमहिं मदन जब गयऊ। निज मायाँ बसंत निरमयऊ॥ कुसुमित बिबिध बिटप बहुरंगा। कूजहिं कोकिल गुंजहि भृंगा॥ चली सुहावनि त्रिबिध बयारी। काम कृसानु बढ़ावनिहारी॥ रंभादिक सुरनारि […]
रामायण बालकाण्ड भाग ६ यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. बालकाण्ड दोहा- बहुरि कहहु करुनायतन कीन्ह जो अचरज राम। प्रजा सहित रघुबंसमनि किमि गवने निज धाम॥११०॥ पुनि प्रभु कहहु सो तत्व बखानी। जेहिं बिग्यान मगन मुनि ग्यानी॥ भगति ग्यान बिग्यान बिरागा। पुनि सब बरनहु सहित बिभागा॥ औरउ राम रहस्य अनेका। कहहु नाथ अति बिमल […]
रामायण बालकाण्ड भाग ५ यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. बालकाण्ड दोहा- कहा हमार न सुनेहु तब नारद कें उपदेस। अब भा झूठ तुम्हार पन जारेउ कामु महेस॥८९॥ मासपारायण,तीसरा विश्राम सुनि बोलीं मुसकाइ भवानी। उचित कहेहु मुनिबर बिग्यानी॥ तुम्हरें जान कामु अब जारा। अब लगि संभु रहे सबिकारा॥ हमरें जान सदा सिव जोगी। अज […]
रामायण बालकाण्ड भाग ४ यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. बालकाण्ड दोहा- अस कहि नारद सुमिरि हरि गिरिजहि दीन्हि असीस। होइहि यह कल्यान अब संसय तजहु गिरीस॥७०॥ कहि अस ब्रह्मभवन मुनि गयऊ। आगिल चरित सुनहु जस भयऊ॥ पतिहि एकांत पाइ कह मैना। नाथ न मैं समुझे मुनि बैना॥ जौं घरु बरु कुलु होइ अनूपा। […]