श्री भैरव चालीसा ॥ दोहा ॥ श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ । चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥ श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल । श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥ || चौपाई || जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥Shri Bharov Ji Ki Chalisa श्री भैरव चालीसा (Shri Bharov Chalisa) […]
फिर आपका कर्म आपको आनंद देगा मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा। निराशीर्निर्ममो भूत्वा युद्धस्व विगतज्वरः।। अपने मन को आत्मा में स्थिर करके, सभी तरह के कामों को मुझे समर्पित करके, इच्छा, मोहमाया और भावनाओं की तपिश से बाहर आकर युद्ध करो। कर्म के वक्त इंसान के तीन भाव होते हैं। पहला, किए जा रहे काम से मिलने वाले फल की इच्छा। दूसरा, इस भाव से कोई कर्म करना कि वह […]
सात चिरंजीवी अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सभी चिरंजीवी हैं। यह दुनिया का एक आश्चर्य है। विज्ञान इसे नहीं मानेगा, योग और आयुर्वेद कुछ हद तक इससे सहमत हो सकता है, लेकिन जहाँ हजारों वर्षों की बात हो तो फिर योगाचार्यों के लिए भी शोध का विषय होगा। इसका दावा नहीं किया जा सकता और इसके किसी भी प्रकार के सबूत नहीं है। यह आलौकिक […]
स्त्रियां पायल क्यों पहनती हैं,नहीं जानते असली वजह महिलाओं के सोलाह शृंगार में एक शृंगार पायल भी है। इन शृंगारों में पायल की अहम भूमिका है। स्त्रियों के शृंगार में पायलों का वैदिककाल से ही विशेष स्थान रहा है। घुँघरूओं से सजी छम-छम करती ख़ूबसूरत पायलें हमेशा से ही स्त्री के पैरों की शोभा रही हैं। यहाँ तक कि कवियों ने भी पायलों की रुन-झुन व उसकी छम-छम के ऊपर अनेक कविताएँ […]
મૃત્યુનું આગમન મૃત્યુ નજીક આવે ત્યારે કરાનારી કેટલીક ક્રિયાઓનું વર્ણનઃ મૃત્યુ નજીક આવે ત્યારે કરાનારી કેટલીક ક્રિયાઓનું વર્ણન પરંપરાપ્રાપ્ત છે. ભાવિ કલ્યાણ માટે બ્રાહ્મણો અને નિર્ધનોને દાન અપાય છે. દાનમાં ગાયનું દાન મૂલ્યવાન છે. એ ‘વૈતરણી’ કહેવાય છે, કેમ કે પાતાળ લોકની વૈતરણી નદીને પાર કરવા મૃત વ્યકિત માર્ગદર્શક મનાય છે. મૃત્યુના આગમન સમયે મરનારનું શરીર સ્વચ્છ ભૂમિ પર રખાય છે. અગ્નિ પ્રજવલિત કરાય છે. એનું મસ્તક ઉત્તર દિશા તરફ […]
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदंब। संत जनों के काज में, करती नहीं बिलंब॥ || चौपाई || जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जगबिदित भवानी॥ सिंह वाहिनी जय जगमाता। जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥ कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जय जय संत असुर सुरसेवी॥ महिमा अमित अपार तुम्हारी। सेष सहस मुख बरनत हारी॥ दीनन के दु:ख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी॥ सब कर […]
शहर के पुराने नाम कानपुर का नाम कान्हापुर दिल्ली का नाम इन्द्रप्रस्थ हैदराबाद का नाम भाग्यनगर फैजाबाद का नाम अयोध्या इलाहाबाद का नाम प्रयाग औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर भोपाल का भोजपाल लखनऊ का लक्ष्मणपूरी अहमदाबाद का कर्णावती अलीगढ़ का नाम हरीगढ़ मिराज का नाम शिवप्रदेश मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मीनगर शामली का श्यामली !
સંપુર્ણ શુધ્ધ શ્ર્લોક સાથેની શ્રાધ્ધવિધિ એકાદશા શ્રાદ્ધ ભાગ-૪ એકાદશા શ્રાદ્ધ (જળાશય આગળ-શક્ય હોય તો) ઈશાન પૂર્વ ઉત્તર દક્ષિણ ચોખા ઘઉં ચોખા પશ્ચિમ સફેદ કપડું- ચોખા લાલ કપડું-ઘઉં લાલ કપડું- ચોખા યજમાને પૂર્વાભિમુખ બેસવું. ત્રણ સ્થાપન- વચ્ચે લાલ, તેમાં ઘઉં પુરવા. ચાર દિશાએ ચાર ખાનાં અનેવચ્ચેએક. તેમાં પાંચ પાત્રો. પાંચ દેવોની મૂર્તિઓ (વિષ્ણુની સોનાની, બ્રહ્માની રૂપાની, રુદ્રની તાંબાની, યમની લોઢાની અનેસત્પુરુષની સીસાની) પંચપાત્ર પરતરભાણી ઢાંકી તેમાં દરેકમાં એક એક મૂકવી. આ […]