मनुष्य को कोन से मार्ग पर जाना नहि चाहिइ?
* जिस मार्ग पर जाने के लिए महान व्यकित की संमति ना हो.
* जो मार्ग अपने लक्ष्य पर जाता ना हो पर आडे-टेडे मार्ग पर जाय.
* जहा अहंकार बढता हो.
* जहा स्वार्थ को पोषण मिले.
* जहा संतःकरण मे प्रेम,करुणा,मैत्री का भाव ना रहे.
* संकुचितता को अवकाश मिले.
* काम,क्रोध,लोभ ओर मोह को अवकाश मिले.
* बहुमुखता प्रबल हो.
* अपनी ओर अन्य की शांती छीनती दिखऐ दे.
* द्रन्द्रसृष्टिमे ओतप्रोत रहे.