जब हनिमान जी लंका पहुचते है तो एक एक भवन मे ढुंढ़ुने पर सीताजी नहि मिलती.तभी उसको विभीषण का धर दिखऐ पडता है.
तुलसीदासने सुंदरकांड मे लिखा है कि.
भवन एक पुनि दिख सुहावा,हरि मंदिर तहं भिन्न बनावा.
फिर एक सुंदर महेल दिखए दियाऔसमे भगवान का मंदिर बना हुआ था.यहा एक बात समजने वाली है विभीषण लंका मे रहते थे ओर उनके धरमे चार विशेषता थी,इस लिये हनुमानजी उनके जीवनमे आ गए.
पहली विशेषताः ‘हरि मंदिर तहं भिन्न बनावा’ धरमे भगवान के लिये एक प्रथक स्थान बनाना चाहिए.
रामायुध अंकित ग़्रुह शोभा बरनि न जाय,नव तुलसिका बुंद तहं देखि हरस कपिरा.
दुसरि विशेषताः वह महल श्रीराम के आयुध के चिन्ह से अंकित था
तीसरी विशेषताः वहां तुलसी के पौधे थे.
चोथी विशेषताः विभीषण के मकान पर मांगलिक चिन्न बने हुये थे.हमारे निवास स्थान पर मांगलिक चिन्न होना चाहिए.
आंगन मे तिलसी का पौधा था.तुलसी संतोष का पौधा है.यह देखकर हनुमान जी प्रसन्न हुए.हमारे निवास स्थान मे या जीवन मे जब कोई आये तो उसे प्रसन्नाता होनी चाहिए.हम सब भी विभिषण की तरह इस संसार रुपी लंका मे रहते है.लेकिन यदि हमारे धरो मे भी यह विशेषता हो तो हनुमानरुपी भगवंत का प्रवेश होगा ही.